(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({
google_ad_client: "ca-pub-7498739120182087",
enable_page_level_ads: true
});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({
google_ad_client: "ca-pub-7498739120182087",
enable_page_level_ads: true
});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({
google_ad_client: "ca-pub-7498739120182087",
enable_page_level_ads: true
});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({
google_ad_client: "ca-pub-7498739120182087",
enable_page_level_ads: true
});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({
google_ad_client: "ca-pub-7498739120182087",
enable_page_level_ads: true
});
MIGRAINE HEADACHE AND AYURVEDA,माइग्रेन
परिचय::-
माइग्रेन सिर में,आँखों के निचें बार -बार होनें वाला गंभीरतम दर्द होता हैं.ये दर्द सामान्य सिरदर्द से दर्द की तीव्रता और बारम्बारता की वज़ह से अलग होता हैं.इसे
माइग्रेन के लक्षण::-
१.अचानक तेज सिरदर्द होना जो कि जो कि सिर के एक भाग या दोनों भागों में एक साथ हो सकता हैं.
२.सिरदर्द के साथ उल्टी ,जी मचलाना,चक्कर,बेहोशी होना.
२.सिरदर्द के साथ उल्टी ,जी मचलाना,चक्कर,बेहोशी होना.
३. तेज आवाज़,रोशनी के कारण तेज सिरदर्द.
४.सुनने,बोलनें में परेशानी.
५. हाथ,पैरों में कंपकंपी या सुन्नपन.
६.कई रोगीयों में आँखों के सामनें चमकनें जैसा अहसास होता हैं,ऐसा इसलिये होता हैं,कि माइग्रेन के कारण पैदा होनें वाली इलेक्ट्रिक और केमिकल तरंगे पूरें मस्तिष्क में फेल जाती हैं, और उस हिस्सों को घेर लेती हैं,जिससे चीजों को देखतें हैं.
७.दर्द के दोरान कानों से कम सुनाई देता हैं.
६.कई रोगीयों में आँखों के सामनें चमकनें जैसा अहसास होता हैं,ऐसा इसलिये होता हैं,कि माइग्रेन के कारण पैदा होनें वाली इलेक्ट्रिक और केमिकल तरंगे पूरें मस्तिष्क में फेल जाती हैं, और उस हिस्सों को घेर लेती हैं,जिससे चीजों को देखतें हैं.
७.दर्द के दोरान कानों से कम सुनाई देता हैं.
माइग्रेन का कारण::-
१. माइग्रेन का पारिवारिक इतिहास होनें पर.
२.अनियमित दिनचर्या.
३.औषधियों के साईड़ इफेक्ट से.
४. हार्मोंन के असंतुलित होनें से.
४. सायनस या नाक से संबधित समस्या होनें पर.
५. सिर में चोंट़ की वज़ह से.
६. शराब,तम्बाकू उत्पादों के सेवन से.
नीम के औषधीय उपयोग
० पलाश वृक्ष के औषधीय गुण
माइग्रेन का आयुर्वेदिक उपचार::-
सर्वप्रथम पंचकर्म चिकित्सा के साथ शुरूआत कर रोग की तीव्रता को कम किया जाता हैं.
१. सिरसूलादि वज्र रस एक गोली सुबह शाम भोजन के बाद.
२. त्रिफला चूर्ण रोज़ रात को सोते समय गुनगुने जल के साथ.
३. भ्रामरी और अनुलोम - विलोम प्राणायाम का इस रोग में विशेष महत्व हैं.
४. पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिये.
५. सोनें का समय निश्चित होना चाहियें.
६. संतुलित भोजन होना चाहियें जिसमें पर्याप्त सब्जियाँ और सलाद हो.
७. तेज मिर्च मसालेदार भोजन से परहेज करें.
८. मोबाइल या कम्प्यूट़र का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखना चाहियें कि कमरें में पर्याप्त रोशनी हो.
९. सोतें समय तकियें की ऊँचाई अधिक नहीं होनी चाहियें.
१०. गाजर का रस ,ककड़ी ,तरबूज तथा खीरा ककड़ी इस बीमारीं को नियत्रिंत करते हैं अत: इनका सेवन करें ।
११.कार्यस्थल या घर का वातावरण ऐसा हो जहाँ पर्याप्त मात्रा में हवा का प्रवाह हो यदि हवा का प्रवाह कम होगा तो मस्तिष्क में आक्सीजन की आपूर्ति कम होगी फलस्वरूप माइग्रेन का अटेक आनें की सम्भावना बढ़ जाएगी ।
१२.शोधों से यह बात स्पष्ट हुई हैं की सेब फल का लगातार सेवन मस्तिष्क में ग्लूटेमिक एसिड की मात्रा को संतुलित करता हैं । ग्लूमेंटिक एसिड मस्तिष्क में रक्त संचार को सुचारू रखता हैं जिससे मस्तिष्क सम्बन्धी बीमारी नहीं हो पाती हैं ।
१३.एक्यूप्रेशर चिकित्सा द्वारा हाथ के कुछ विशेष पॉइंट पर दबाव बनाकर इस रोग का प्रभावी उपचार सम्भव किया जा सकता हैं । देखें चित्र
११.कार्यस्थल या घर का वातावरण ऐसा हो जहाँ पर्याप्त मात्रा में हवा का प्रवाह हो यदि हवा का प्रवाह कम होगा तो मस्तिष्क में आक्सीजन की आपूर्ति कम होगी फलस्वरूप माइग्रेन का अटेक आनें की सम्भावना बढ़ जाएगी ।
१२.शोधों से यह बात स्पष्ट हुई हैं की सेब फल का लगातार सेवन मस्तिष्क में ग्लूटेमिक एसिड की मात्रा को संतुलित करता हैं । ग्लूमेंटिक एसिड मस्तिष्क में रक्त संचार को सुचारू रखता हैं जिससे मस्तिष्क सम्बन्धी बीमारी नहीं हो पाती हैं ।
१३.एक्यूप्रेशर चिकित्सा द्वारा हाथ के कुछ विशेष पॉइंट पर दबाव बनाकर इस रोग का प्रभावी उपचार सम्भव किया जा सकता हैं । देखें चित्र
migrain accupressure point |
कोई भी रोग जल्दी ख़त्म हो सकता हैं,यदि बीमारीं को पहचान कर उसका समय पर उपचार शुरू कर दिया जायें अत:बीमारीं शरू होते ही जितना जल्दी हो सकें किसी अच्छे चिकित्सक से ज़रूर सलाह लें.
वैघकीय परामर्श आवश्यक
टिप्पणियाँ